श्री राम जन्मभूमि अयोध्या
सप्तपुरियो में से एक पुरी अयोध्या धाम जो सरयू नदी के तट पर बसा एक प्राचीन नगर है। जिसे श्री राम जन्मभूमि के नाम से भी जाना जाता है। हाल ही में वहां प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर बन रहा है, और अब प्राण प्रतिष्ठा की तिथि की घोषणा भी की जा चुकी है। 22 जनवरी 2024 में प्रधानमंत्री मोदी जी के हाथों प्रभु श्रीराम की मूर्ति कि प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। लगभग 500 वर्ष बाद रामलला अपने मंदिर में वापस आ रहे हैं, जिसको लेकर के अयोध्या में दीपावली जैसा माहौल है।
You Might Be Like These Suggested Tours
राम मंदिर का इतिहास
वैसे तो जन्मभूमि विवाद बहुत पुराना है, लेकिन पहली बार यह चर्चा में 1528 ई में आया। जब मुग़ल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने बादशाह को खुश करने के लिए मंदिर तोड़ कर तीन गुंबद वाली बाबरी मस्जिद का निर्माण करा दिया। सन् 1853 ई में आस पास के भड़के सांप्रदायिक दंगों को देखते हुए सन 1859 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने परिसर को बाड़ों में घेर दिया। विवादित स्थान पर वास्तविक विवाद 23 सितंबर 1949 में शुरू हुआ, जब वहाँ पर भगवान श्री राम की मूर्तियाँ पाई गई। उत्तर प्रदेश प्रशासन के मूर्ति हटवाने के आदेश के बावजूद प्रशासन मूर्तियाँ हटाने में असमर्थ रहा। इसके बाद कार सेवकों ने 6 दिसंबर 1992 ई में विवादित ढांचे को गिरा दिया, जिसमें मलबे में दबकर और इसके बाद भड़की हिंसा में हजारों लोगों की जान गई।
Need To Plan a Trip? Just Fill Details
सन् 2010 ई में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परिसर को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का निश्चय किया, जिसमें एक हिस्सा रामलला व दूसरा निर्मोही अखाड़ा तथा तीसरा पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया। लेकिन इसके अगले 2 साल में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को गलत मानकर फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी। सन् 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने पक्षों को कोर्ट के बाहर विवाद को सुलझाने का आग्रह किया। लेकिन 2 अगस्त 2019 तक पक्ष फैसला लेने में असमर्थ रहे। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई प्रारंभ की और आखिरकार 9 नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने 2.77 एकड़ भूमि हिंदू पक्ष को सौंपी, जिसके बाद प्रभु श्रीराम का टेंट से मंदिर में विराजमान होने तक का रास्ता प्रशस्त हुआ।
भव्य राम मंदिर
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 5 अगस्त 2020 में राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम प्रधानमंत्री मोदी जी के हाथों से संपन्न हुआ,जिसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ समेत 175 लोगों ने भूमि पूजन कार्यक्रम में शिरकत की। अब 22 जनवरी 2024 अयोध्या अपने रामलला के मन्दिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए सजकर तैयार है। मंदिर जो की 2.7 एकड़ क्षेत्र में फैला है, जिसमें कुल निर्मित क्षेत्र 57,400 वर्ग फुट है इस तीन मंजिला बने मंदिर में 12 द्वार व पांच मंडप बनाए गए हैं, और मंदिर की ऊँचाई 161 फिट रखी गई है। यह मंदिर पांच मंडप वाला दुनिया में इकलौता मंदिर है, जिसकी कुल लंबाई 360 फ़ीट और चौड़ाई 235 फ़ीट है। मंदिर जो कि नागर शैली से बनाया गया है जिसमें प्रभु राम की प्रतिमा के लिए नेपाल से शालीग्राम पत्थर को मँगवाया गया है व मंदिर में सिंह, हनुमान व गरुड़ की मूर्तियाँ हल्के गुलाबी रंग के पत्थर से मंदिर के बाहर के हिस्से में बनाई गई है।
अयोध्या कैसे पहुँचे
हवाई मार्ग:-अयोध्या आने के लिए अयोध्या में नव निर्मित महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से भारत के किसी भी हिस्से से सीधे आया जा सकता है, अन्यथा वाराणसी व लखनऊ एयरपोर्ट आकर वहाँ से सड़क मार्ग से भी अयोध्या आसानी से जाया जा सकता है।
रेल मार्ग:- यातायात के सबसे प्रासंगिक माध्यम रेल से भारत के किसी भी कोने से आया जा सकता है। अयोध्या में दो रेलवे स्टेशन हैं, जिसमें पहला अयोध्या धाम जंक्शन व दूसरा अयोध्या कैंट है। यहाँ दिल्ली से आने वाली ट्रेन कैफियात एक्सप्रेस, दरभंगा अमृत भारत एक्सप्रेस व फरक्का एक्सप्रेस आदि प्रमुख हैं।
सड़क मार्ग:- भारत के किसी भी हिस्से से अयोध्या सड़क मार्ग के द्वारा आसानी से आया जा सकता है। अयोध्या दिल्ली से महज 636 किमी, गोरखपुर से 164 किमी, प्रयागराज से 135 किमी व वाराणसी से 189 किमी है। यहां आने के लिए 24 घंटे उत्तर प्रदेश परिवहन की बसे प्रमुख नगरों से उपलब्ध हैं।
कहाँ ठहरें
वैसे अयोध्या में छोटे बड़े बहुत से होटल धर्मशालाएं व टेंट हाउस इत्यादि उपलब्ध हैं, लेकिन यहाँ के प्रमुख धर्मशालाओं में बिड़ला धर्मशाला सबसे पुराना है। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए यहाँ शहर के तीन हिस्सों में टेंट सिटी का निर्माण भी किया जा रहा है।
कहाँ घूमे
जन्मभूमि:- हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के सातवें अवतार के रूप में रामलला ने इसी स्थान पर जन्म लिया व सरयू नदी के तट पर उन्होंने अपना बचपन व्यतीत किया। कालान्तर में विवाद के बाद बन रहे नए मंदिर ने इस स्थान का महत्व और बढ़ा दिया है।
हनुमान गढ़ी:- दसवीं शताब्दी में बना ये हनुमान जी का मंदिर जो अयोध्या के साई नगर में है। मान्यताओं के अनुसार रामलला के दर्शन से पहले हनुमान जी के दर्शन करने चाहिए। यहाँ पर हनुमान जी माता अंजनी के गोद में विराजमान है। यह मंदिर 76 सीढ़ियों के बाद हनुमान गढ़ी तक जाता है। कहा जाता है, कि रावण वध के बाद हनुमान जब अयोध्या लौटे तब वह यही हनुमान गढ़ी में रहने लगे व आज तक अयोध्या नगरी की रखवाली करते है।
कनक भवन:- सन् 1891 ईस्वी में बना यह मंदिर जन्मभूमि के बहुत समीप हैं। माना जाता है कि यह स्थान माता कैकेयी ने माँ सीता व प्रभुराम को दिया था।
दशरथ भवन:- अयोध्या की लगभग मध्य में बने इस मंदिर में माना जाता है कि यह वही स्थान है; जहाँ त्रेता युग में राजा दशरथ का भवन था व रामजी अपने चारों भाइयों के साथ अपना बचपन उन्होंने यही व्यतीत किया था।
सीता रसोई:- जन्मभूमि के उत्तर पश्चिमी दिशा में सीता माता की रसोई विद्यमान हैं। यहाँ पर माता का एक मंदिर हैं, जिन्हें अन्नपूर्णा का रूप मानकर पूजा भी की जाती है। मंदिर के दूसरे हिस्से में श्रद्धालुओं को नि:शुल्क भोजन भी कराया जाता है।
नया घाट:- सरयू नदी के किनारे बना यह घाट जिसमें दोनों तरफ सीढ़ियां व बीच में सरयू नदी का जल प्रवाहित होता है। इसी घाट के पास प्रत्येक शाम में आरती भी होती है। पर्यटक सरयू नदी में नौका विहार का आनंद भी ले सकते हैं।
इसके अलावा अयोध्या में नागेश्वर नाथ मंदिर, छोटी छावनी, तुलसी स्मारक भवन, राजा मंदिर, राम कथा पार्क, गुप्तारघाट इत्यादि भी घूम सकते हैं।
राम नवमी व हनुमान जयंती जो की भगवान राम व हनुमान जी के जन्म दिवस के रूप में माना जाता है, यहाँ पर धूमधाम से मनाया जाता है। जिसके लिए पर्यटक देश भर से भारी मात्रा में आते हैं।