भारत का दक्षिणतम बिंदु (कन्याकुमारी)

भारत का दक्षिणतम बिंदु (कन्याकुमारी)

Posted On : 2024-01-30

भारत का दक्षिणतम बिंदु (कन्याकुमारी)

भारत के दक्षिणतम बिंदु पर स्थित कन्याकुमारी स्थान जो कि कन्या कुमारी (कुमारी अम्मन) के नाम से रखा गया। यह स्थान तीनों और समुद्र से घिरा हुआ है तथा इसकी आबादी लगभग 20,00,000 है।

हमेशा से ही उत्तर भारत के लोगों में दक्षिण भारत की संस्कृति सभ्यता व वहाँ का खान पान कौतूहल का विषय बना रहता है।

You Might Be Like These Suggested Tours

कन्याकुमारी में मलयालम भाषा बोली जाती है।

Need To Plan a Trip? Just Fill Details

 

कन्याकुमारी का इतिहास

कन्याकुमारी दक्षिण भारत के प्रमुख शासकों चोल, पांडेयचेर शासकों के हाथों में रहा। यहाँ इन शासकों के द्वारा बनाए गए मंदिर वह अन्य पुराने भवनों पर इन शासकों की छवि स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है।

 

प्राचीन कथा जिससे इसका नाम कन्याकुमारी पड़ा

पौराणिक कथा के अनुसार बाणासुर नाम के राक्षस ने भगवान शिव की घोर तपस्या की और परिणामस्वरूप बाणासुर की इच्छानुसार भगवान शिव ने उसे कुमारी कन्या इसके अलावा कोई उसका वध नहीं कर सकता इस प्रकार का वरदान मिला।

जिसके पश्चात बाणासुर ने अपनी शक्तिओं का गलत इस्तेमाल करना प्रारंभ कर दिया।

जिसके बाद देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की और भगवान विष्णु के आशीर्वाद स्वरूप एक स्त्री का जन्म हुआ, जो कि भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी।

कन्या ने घोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और भगवान शिव विवाह करने के लिए तैयार हुए।

 विवाह निश्चित होने के कारण देवताओं में बाणासुर को लेकर भय जागने लगा क्योंकि आशीर्वाद स्वरूप यदि कन्या का विवाह हो जाएगा तो वह बाणासुर का वध नहीं कर पाएंगी; इसलिए विवाह के दिन नारद मुनि ने भगवान शिव को रास्ते में रोककर उनका समय व्यतीत किया।

 शुभ मुहूर्त का समय बीते जाने के बाद भगवान शिव वापस कैलाश चले आये। यह जानकारी बाणासुर के पास पहुंचने के बाद बाणासुर ने कुमारी कन्या को प्राप्त करने का विचार मन में लिए कुमारी कन्या के पास गया जिसके पश्चात कुमारी कन्या और बाणासुर के बीच युद्ध में बाणासुर मारा गया और इसी वजह से इस स्थान का नाम कन्याकुमारी रखा गया।


कन्याकुमारी पहुंचने के लिए यातायात साधन

  • रेल मार्ग

कन्याकुमारी के लिए प्रमुख नगरों से ट्रेन चलती है; अन्यथा तिरुनेलवेली, तिरुवनंतपुरम, मदुरई वह रामेश्वरम् से भी कनेक्टिंग ट्रेन लेकर आया जा सकता है।

  • वायु मार्ग

कन्याकुमारी आने के लिए सबसे नजदीकी एअरपोर्ट त्रिवेन्द्रम जो कि कन्याकुमारी से 90 किलोमीटर दूर स्थित है।

त्रिवेंद्रम आने के लिए प्रमुख नगरों दिल्ली, चेन्नई, मुंबई व कोलकाता से सीधे फ्लाइट मिलती हैं।

  • सड़क मार्ग

कन्याकुमारी आने के लिए तिरुवनंतपुरम, रामेश्वरम् व मदुरई से सीधे बस सुविधाएं मिलती हैं।

एनएच 44 जो कि भारत की सबसे लंबी सड़क है, जो कि श्रीनगर से कन्याकुमारी को जोड़ती है। जिसकी लम्बाई 3745 किलोमीटर है। इस सड़क मार्ग से अपने किसी भी वाहन से कन्याकुमारी आया जा सकता हैं।

 

कन्याकुमारी में रुकने के लिए स्थान

कन्याकुमारी में छोटे बड़े अनेक प्रकार के होटल उपलब्ध है; जहाँ आसानी से सस्ते दामों पर रुका जा सकता है।

धार्मिक स्थान होने के कारण यहाँ बहुत से मन्दिर भी अपने श्रद्धालुओं को रुकने की सुविधा प्रदान करते हैं।

कन्याकुमारी रुकने के लिए कन्याकुमारी मंदिर के आसपास का स्थान बेहतर है।

 

कन्याकुमारी में पर्यटन स्थल

कन्याकुमारी टेम्पल (कुमारी अम्मन मंदिर) 

कन्याकुमारी मंदिर जो की 51 शक्ति पीठों में से एक है। माना जाता है की यहाँ पर सती माता के रीढ़ की हड्डी गिरी थी। यहाँ माता की मूर्ति काले रंग में है, जिन्हें साड़ी वह दक्षिण भारतीय परंपराओं से सजाया जाता है। मंदिर की दीवार जो कि लगभग 15 से 20 फुट है इसे चारों ओर से सुरक्षा प्रदान करती है। यह मंदिर समुद्र तट से कुछ ऊंचे स्थान पर स्थित है। इस मंदिर में पूर्व का दरवाजा बंद रहता है; श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश के लिए उत्तर के दरवाजे का प्रयोग करते हैं।

 मान्यता के अनुसार कुमारी अम्मन की मूर्ति के नाक में एक मणि सुशोभित है जो की नागराज ने उनको प्रदान की थी। इसकी रौशनी इतनी तेज है कि समुद्र से आने वाले जहाज इसे प्रकाश स्तंभ मान कर इसकी ओर चले आते थे और समुद्र के किनारे बड़े पत्थरों से टकरा जाते थे। जिसकी वजह से मंदिर के पूर्व के हिस्से का दरवाजे को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया और यह केवल महत्वपूर्ण त्योहारों पर ही खोला जाता है।


विवेकानन्द रॉक मेमोरियल

स्वामी विवेकानन्द 1893 ईस्वी में कन्याकुमारी मंदिर के दर्शन के लिए कन्याकुमारी आए। जिसके बाद उन्होंने तट से कुछ दूरी पर बने बड़े से शिला पर तीन दिनों तक ध्यान किया। जिसके बाद से इस स्थान का नाम विवेकानन्द रॉक मेमोरियल कर दिया।

साल 1970 में स्वामी विवेकानन्द को समर्पित उस स्थान पर निर्माण कार्य किया गया। जिसके बाद पर्यटक विशेष रूप से यहां घूमने आते हैं।

यही रॉक मेमोरियल पर माता कुमारी अम्मन के पद चिन्ह भी मिलते हैं जो कि पत्थर पर स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ते हैं।

 

त्रिवेणी संगम

भारत में एकमात्र ऐसा स्थान जहाँ से तीनों समुद्रों को एक साथ देखा जा सकता है जो की भारत को तीन और से घेरे हुए है।

पश्चिम में अरब सागर व पूर्व में बंगाल की खाड़ी व दक्षिण में हिन्द महासागर तीनों उसी स्थान पर आपस में मिलते हुए से प्रतीत होते हैं। यहाँ पानी का रंग हल्का नीला और पीला आपस में मिलता हुआ स्पष्ट दिखाई पड़ता है।


तिरुवल्लुवर स्टैचू

तिरुवल्लुवर दक्षिण भारत के महान दार्शनिक व कवि थे। जिनका स्टैच्यू समुद्र में विवेकानन्द रॉक मेमोरियल के समीप बनाया गया है।

सन 1979 ईस्वी में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने इसकी आधार शिला रखी व बीस साल बाद इसका अनावरण मुख्यमंत्री येदियुरप्पा जी ने किया।

यह प्रतिमा 95 फ़ीट ऊंची पत्थर से बनी हुई है, जिसका वजन 7000 टन है।


गाँधी मंडपम्

महात्मा गाँधी की मृत्यु पश्चात उनकी अस्थियों का विसर्जन इसी स्थान से किया गया जहाँ वर्तमान में यह गाँधी मंडपम् बनाया गया है।

यहाँ पर महात्मा गाँधी से जुड़ी हुई घटनाओं की तस्वीरें व महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध हैं।


सनराइज व सनसेट प्वाइंट

भारत के कुछ स्थानों जहाँ सूर्यास्त व सूर्योदय का नजारा बहुत रमणीक होता है; यह वह कुछ एक स्थानों में से एक है।

यहाँ सूर्य सुबह समुद्र में से निकलता हुआ प्रतीत होता है व शाम में यही सूर्य समुद्र में डूबता हुआ अत्यंत सुंदर प्रतीत होता है।

इसके अलावा कन्याकुमारी में चर्च, वट्टकोट्टई फोर्ट, तिरपरप्पु वॉटरफ़ॉल, वैक्स म्यूजियम, चितराल रॉक जैन टेम्पलपद्मनाभपुरम पैलेस भी घूम सकते हैं।

 

कन्याकुमारी आने के लिए सही समय

कन्याकुमारी भारत के दक्षिण में होने के कारण यहाँ बहुत गर्मी पड़ती है जिसकी वजह से यहाँ पर सर्दियों में आना ज़्यादा बेहतर है यहाँ अक्टूबर से फरवरी के बीच में आने का समय सही माना गया है। 

Category

Customer Care
Need Help Booking ?

Call Our Customer Care Executive. We Are Available 24x7 Just Dial.

+91 9810833751 Send Enquiry