कुरुक्षेत्र के प्रमुख मंदिर व पर्यटनीय स्थल

कुरुक्षेत्र के प्रमुख मंदिर व पर्यटनीय स्थल

Posted On : 2024-01-30

कुरुक्षेत्र के प्रमुख मंदिर व पर्यटनीय स्थल

कुरुक्षेत्र का नाम उसके प्राचीन राजा कुरु के नाम पर रखा गया जो की पांडवों के पूर्वज थे।

कुरुक्षेत्र में ही महाभारत का युद्ध हुआ, जिसमें श्री कृष्ण ने गीता जैसा ज्ञान दिया; जो की आज भी भारत के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है।

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कुरुक्षेत्र दिल्ली से 160 किलोमीटर दूर हरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्थित है। यहां की भाषा हरियाणवी है।

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कुरुक्षेत्र का वर्णन प्राचीन भागवत गीता के प्रथम श्लोक में भी मिलता है।

 

कुरुक्षेत्र आने के लिए यातायात सुविधा

कुरुक्षेत्र में रहने का स्थान

कुरुक्षेत्र में मंदिर व पर्यटन स्थल

कुरुक्षेत्र घूमने का सही समय

 

कुरुक्षेत्र आने के लिए यातायात सुविधा

  1. सड़क मार्ग:- कुरुक्षेत्र दिल्ली से लगभग 160 किलोमीटर दूर है जिसे यहां प्राइवेट गाड़ी से आया जा सकता है। NH1 दिल्ली को कुरुक्षेत्र से सड़क मार्ग के लिए जोड़ता है। यहां पर हरियाणा रोडवेज की बसें दिल्ली से कुरुक्षेत्र आने के लिए उपलब्ध है।
  2. रेल मार्ग:- भारत के अनेक शहरों से कुरुक्षेत्र आने के लिए रेल मार्ग के द्वारा आसानी से आया जा सकता है; अन्यथा दिल्ली से ट्रेन कुरुक्षेत्र के लिए आसानी से मिल जाती है। कुरुक्षेत्र में एक रेलवे स्टेशन है; जिसका नाम कुरुक्षेत्र जंक्शन है।
  3. हवाई मार्ग:- कुरुक्षेत्र का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट दिल्ली और चंडीगढ़ है यहां आने के पश्चात टैक्सी लेकर कुरुक्षेत्र पहुंचा जा सकता है।

 

कुरुक्षेत्र में रहने का स्थान

 वैसे कुरुक्षेत्र को 1 दिन में घूमा जा सकता है; लेकिन यदि यात्री चाहें तो यहाँ पर रुक सकते हैं। यहाँ छोटे बड़े सभी प्रकार के होटल व कुछ आश्रम भी है जहाँ पर यात्री अपना रात्रि विश्राम कर सकते हैं।

 

कुरुक्षेत्र में मंदिर व पर्यटन स्थल

  • ब्रह्म सरोवर

माना जाता है कि इसका निर्माण राजा कुरू ने करवाया था। यह एशिया में सबसे बड़ा मानव निर्मित सरोवर है।

इस स्थान के चारों ओर महाभारत काल से जुड़ी हुई चित्रकलाएं बनी हुई है। जहां रात्रि में लाइटिंग पर्यटकों का मन मोह लेती हैं।

गीता जयंती के पावन अवसर पर यहां एक मेले का आयोजन होता है, और इस दिन इस स्थान को सजाया जाता है व शाम को विशेष आरती की जाती है।

एक किंवदंती के अनुसार दुर्योधन भीम से बचने के लिए युद्ध के अंतिम दिन यही ब्रह्म सरोवर में आकर छुप गया था।

 

  • सन्निहित सरोवर

यह स्थान कुरुक्षेत्र के कैथल मार्ग पर पड़ता है। कहा जाता है की यहां पर सर्वप्रथम पांडवों ने युद्ध में मारे गए लोगों के लिए पिंडदान किया और वहां एक बड़े जल कुंड का निर्माण कराया।

इस स्थान पर लोग दूर-दूर से अपने पूर्वजों का पिंडदान करने के लिए आते हैं। मान्यता है, यहां पर पिंडदान करने से भटकती आत्माओं को शांति मिलती है।

इस सरोवर में अमावस्या के दिन स्नान करना बहुत पुण्य कार्य माना जाता है।

 

  • भद्र काली मन्दिर

 भारत के 51 शक्ति पीठों में से एक भद्र काली मंदिर जो कि हरियाणा में इकलौता शक्ति पीठ है; हरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्थित है।

 मान्यता के अनुसार मां सती के शरीर के 51 हिस्सों में से दाएं भाग के एडी का हिस्सा यही गिरा था।

 यहाँ माता की काले रंग में खप्पर लिए हुए बहुत सुंदर मूर्ति विराजमान है।

 

  • स्थानेश्वर महादेव मन्दिर

 यह मंदिर भी कुरुक्षेत्र में स्थित है। यह शिव का मंदिर जो की अपने एक छोटे से कुंड के लिए प्रसिद्ध है। माना जाता है कि इस कुंड में स्नान करने के पश्चात व्यक्ति कुष्ठ रोगों से दूर हो जाता है।

 पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पांडवों ने युद्ध प्रारंभ करने से पहले यही आकर महादेव की पूजा अर्चना की और उनसे युद्ध में विजय होने का आशीर्वाद मांगा।

 हिंदू स्थापत्य कला में बने इस मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान, भैरव व मां दुर्गा की मूर्ति भी है।

 यहां शिवरात्रि के दिन विशेष रूप से दर्शन के लिए दर्शनार्थी दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं।

 

  • ज्योतिसर तीर्थ

 ज्योतिसर तीर्थ हरियाणा के कुरुक्षेत्र के थानेसर से 5 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है।

 माना जाता है कि श्रीकृष्ण ने यही अर्जुन को अपना वृहद अवतार दिखाया व गीता का उपदेश दिया।

 यहां पर एक बहुत बड़ा वट वृक्ष है; जो की मान्यता के अनुसार महाभारत काल से ही जीवित है। जिसकी वजह से इसका नाम अक्षय वट रखा गया।

 कहा जाता है कि इसी वट वृक्ष के नीचे भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का संपूर्ण ज्ञान दिया।

 वटवृक्ष के नीचे चबूतरे का निर्माण महाराजा दरभंगा ने करवाया था। इसके पास भी एक बड़ा कुंड है।

 

  • भीष्म कुंड

 यह युद्ध भूमि का वह स्थान है जहां पर अर्जुन द्वारा भीष्म को तीरों की सैया पर लिटाए गए और अंतिम समय जब भीष्म को प्यास लगी तो जमीन पर बाण मारकर मां गंगा का उद्गम इसी स्थान पर कराया गया।

 इस स्थान पर वर्तमान में एक मंदिर बनाया गया है और यहाँ भीष्म की तीरों के ऊपर लेटी हुई प्रतिमा भी है; जिसके पास ही एक छोटा कुंड भी है।

मंदिर प्रांगण में ही एक हनुमान जी की बहुत ऊंची प्रतिमा भी स्थित है।

 

  • श्री कृष्ण म्यूज़ियम

 इसकी स्थापना 1987 ईस्वी में कुरुक्षेत्र में की गई यह स्थान ब्रह्मकुंड के समीप ही स्थित हैं यहाँ पर महाभारत काल और श्रीकृष्ण से संबंधित लगभग सभी जानकारियां उपलब्ध हैं।

 

  • धरोहर म्यूजियम

 यह म्यूजियम ब्रह्मकुंड के समीप स्थित है। इसमें हरियाणा के ग्रामीण सभ्यता को बहुत सुंदर तरीके से दर्शाया गया है। यहाँ पर पुराने समय के औजार वह पारंपरिक वेशभूषाएं भी संजोकर रखी हुई है।

 

कुरुक्षेत्र घूमने का सही समय

 सितंबर से मार्च तक का समय कुरुक्षेत्र घूमने के लिए बेहतर है, इस समय मौसम लगभग सुहावना बना रहता है अधिकतर पर्यटक सितंबर से नवंबर के बीच कुरुक्षेत्र आते हैं।

 

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