जहां भगवान श्री राम ने गुजारा ग्यारह वर्ष से अधिक का वनवास (चित्रकूट)
चित्रकूट मंदाकिनी नदी के किनारे उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित एक छोटा शहर है।
यह भारत के सबसे प्राचीनतम पर्यटक स्थलों में से एक है, जिसका कुल क्षेत्रफल 38.2 किलोमीटर में फैला हुआ है।
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यह वही स्थान है, जहां भगवान श्री राम ने माता सीता व लक्ष्मण के साथ 11.5 वर्ष का वनवास का समय व्यतीत किया। गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण समय को यहीं पर व्यतीत किया। इस स्थान ने तुलसीदास जी को रामचरितमानस लिखने में सहायता की।
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यहीं रामचरितमानस की मूल प्रति भी रखी हुई है।
रामायण ग्रंथ के अनुसार यहां भरत अपने भाई प्रभु श्री राम को वापस लेने के लिए इसी स्थान पर आए और यहीं पर भारत मिलाप हुआ।
यह स्थान प्राकृतिक रूप से हरे भरे पहाड़ों व जीव जंतुओं से घिरा हुआ स्थान है।
यहां भगवान श्री राम से संबंधित बहुत से मंदिर व पर्यटन स्थल मौजूद है।
चित्रकूट में पर्यटन स्थल |
चित्रकूट पहुंचने के लिए यातायात |
चित्रकूट में रुकने की सुविधा |
चित्रकूट घूमने के लिए बेहतर समय |
निष्कर्ष |
चित्रकूट में पर्यटन स्थल
- कामदगिरि पर्वत
कामदगिरि एक पर्वत है, जिसके निचले हिस्से में प्रमुख मंदिर स्थापित है और यहाँ 5 किलोमीटर का परिक्रमा मार्ग है जो कामदगिरि पर्वत के चारों ओर है। जहां श्रद्धालु परिक्रमा कर अपने आप को धन्य मानते हैं, कहा जाता है कि भगवान श्री राम कामद गिरी पर्वत पर निवास करते व यहां के कंदमूल आदि फलों को खाकर अपना निर्वाह करते थे।
- रामघाट
मंदाकिनी नदी के किनारे बना यह घाट चित्रकूट के आकर्षण का केंद्र है। रामघाट वह घाट है जहां प्रत्येक दिन भगवान श्री राम स्नान के लिए आते थे।
रामघाट पर ही भरत मिलाप मंदिर व तुलसीदास जी की प्रतिमा है।
इस घाट पर प्रतिदिन धार्मिक क्रियाकलाप होते रहते है और पर्यटक नौका विहार का आनंद लेते हैं।
यहां शाम के समय आरती का भी आयोजन मंदाकिनी नदी के घाट पर किया जाता है जो की मन को सुकून प्रदान करता है।
- हनुमान धारा
यह स्थान भगवान श्री राम ने हनुमान जी के विश्राम हेतु रामायण काल में बनाई थी। हनुमान धारा जाने के लिए 700 सीढ़ी चढ़कर पर्वत के ऊपर जाना पड़ता है; अन्यथा केबल कार के द्वारा भी यात्री मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
मंदिर में हनुमान जी की एक बड़ी प्रतिमा विराजित है और सामने ही एक कुंड भी है। मान्यता के अनुसार यहां पर भगवान श्री राम ने धनुष मार कर धारा को उत्पन्न किया और वह धारा वहीं से शुरू होकर वहीं पर खत्म हो जाती है। इसी वजह से स्थान का नाम हनुमान धारा रखा गया।
यह स्थान ऊंचाई पर होने के कारण यहां से चित्रकूट का बहुत मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता है।
- गुप्त गोदावरी
शहर से कुछ दूर स्थित इस स्थान पर दो बड़ी गुफाएं है। मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान श्री राम माता सीता के साथ दरबार लगाते थे।
इन्हीं गुफा से एक जलधारा निकलती है, जिसे गुप्त गोदावरी के नाम से भी जाना जाता है और यह धारा गुफा से बाहर निकलकर कुंड में गिरने के बाद विलुप्त हो जाती है।
गुप्त गोदावरी में शारीरिक रूप से अक्षम व हृदय से संबंधित विकार वाले श्रद्धालुओं को प्रवेश से रोका जाता है क्योंकि गुफा के अंदर ऑक्सीजन की कमी होती है।
- जानकी कुंड
माता सीता को जनक पुत्री जानकी के नाम से भी जाना जाता था और इन्हीं के नाम पर मंदाकिनी नदी के किनारे थोड़ी दूर पर एक कुंड स्थित है; जिसे जानकी कुंड के नाम से जाना जाता है।
मान्यता है कि इसी स्थान पर मां सीता स्नान किया करती थी।
- स्फटिक शिला
इस स्थान पर रखा एक पत्थर जिसमें माता सीता के पदचिन्ह स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ते हैं; मान्यता के अनुसार जब मां सीता व प्रभु राम यहां विश्राम कर रहे थे तब कौए के मां सीता पर आघात करने पर श्री राम जी ने बाण द्वारा कौए की एक आंख को फोड़ दिया। जिसके पश्चात आज भी कौवा केवल एक ही आंख से देख पाता है।
- सीता रसोई
सीता रसोई वनवास के समय में इसी स्थान पर मां सीता ने पांच ऋषियों को कंदमूल का भोजन कराया था।
यहां पर एक चकले व बेलन से बनी हुई आकृति है; जिसकी पहचान स्वयं गोस्वामी तुलसीदास जी ने चित्रकूट में निवास के समय में की।
यहां लोग मान्यताओं के अनुसार चकले व बेलन का दान करते हैं।
- भरतकूप
चित्रकूट में वह स्थान जहां भरत अपने भाई श्री राम के राज्याभिषेक के लिए अनेक तीर्थ स्थलों का जल लेकर आए थे; लेकिन प्रभु श्री राम की कठिन दृढ़ संकल्प की वजह से निराश होकर भरत केवल उनके चरण पादुकाएं ले गए व जल को पास ही कुएं में डाल दिया तब से इस कुएं का नाम भरतकूप रख दिया गया।
यह कुआं आज भी जल से पूर्ण आच्छादित है और पर्यटक यहां घूमने के लिए आते हैं।
चित्रकूट पहुंचने के लिए यातायात
- सड़क मार्ग
सड़क मार्ग से दिल्ली, प्रयागराज, मुंबई व अन्य भारत के शहरों से आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश परिवहन की बस भी चित्रकूट को अन्य जिलों से जोड़ती है।
- रेल मार्ग
चित्रकूट में एक रेलवे स्टेशन स्थित है जिसका नाम चित्रकूट धाम है। यहां आने के लिए दिल्ली व प्रयागराज से सीधे ट्रेन सुविधा मिलती है।
- वायु मार्ग
चित्रकूट धाम से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट प्रयागराज पड़ता है; अन्यथा चित्रकूट से 185 किलोमीटर दूर खजुराहो से भी हवाई मार्ग के द्वारा आया जा सकता है।चित्रकूट धाम में हवाई अड्डा भी है लेकिन वह अभी पूरी तरह से कार्यरत नहीं है जिसकी वजह से सड़क व रेल मार्ग से आना ज्यादा बेहतर है।
चित्रकूट में रुकने की सुविधा
चित्रकूट धाम में रुकने के लिए धर्मशालाएं होटल व गेस्ट हाउस आसानी से मिल जाते है, जो लगभग हर बजट में उपलब्ध है। ज्यादातर होटल रामघाट के समीप स्थित है।
चित्रकूट आने से पहले होटल व धर्मशालाओं की बुकिंग कर लेनी चाहिए अन्यथा पहुंचने पर कभी कभार कमरे आसानी से नहीं मिलते हैं।
चित्रकूट घूमने के लिए बेहतर समय
अगस्त, सितंबर और अक्टूबर का महीना जो की मानसूनी सीजन है यहां घूमने के लिए सबसे बेहतर है।
मानसून के समय यहां के पेड़ पौधे और हरियाली खिल उठती है; जो की पर्यटकों को खूब लुभाती है।
निष्कर्ष
यदि आप 1 से 2 दिन के समय के लिए कहीं बाहर घूमना चाहते हैं तो यह स्थान अपने आप में बहुत सुंदर है। यह स्थान धार्मिक व पर्यटन दोनों दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है और बरसात के समय तो यहां का मौसम हृदय को भीतर तक सुकून प्रदान करता है।